ऊधमसिंह नगर जिले के 88 बच्चों के मंदबुद्दि होने की पुष्टि हुई है। चार बच्चों के मानसिक रूप से दिव्यांग (मेंटली रिटायर्ड) होने की बात सामने आई है। शून्य से 18 वर्ष के बच्चों में जन्म के समय के विकार, बीमारी, कमी और दिव्यांगता, शारीरिक विकास में कमी की जांच के लिए चलाए गए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की पड़ताल में मंदबुद्धि और मानसिक दिव्यांग बच्चों का पता चला है।
रोग नियंत्रण और निवारण केंद्रों की रिपोर्ट के अनुसार मंदबुद्धिता आम जनसंख्या के 2.5 से 3 प्रतिशत लोगों में होती है। मंदबुद्धिता 18 वर्ष की उम्र के पहले बचपन या किशोरावस्था में शुरू होती है और वयस्क जीवन में बनी रहती है। मंदबुद्धिता को मानसिक आयु के अनुसार समझने की क्षमता से मापा जाता है। मंदबुद्धिता की चार श्रेणियां हल्की, मध्यम, गंभीर और गहन होती हैं।
चिकित्सक बताते हैं कि मानसिक दिव्यांगता (एमआर) एक व्यापक विकृति है। मानसिक दिव्यांगों को समस्या, समाधान और तार्किक सोच में कठिनाई आती है। स्कूल में सीखने में परेशानी होती है। बिना मदद के कपड़े पहनने या शौचालय का उपयोग करने जैसे रोजमर्रा के काम करने में असमर्थ रहते हैं।
83 बच्चे बोल नहीं पाते
आरबीएसके की पड़ताल में सामने आया है कि जिले के 83 बच्चे लैंग्वेज डिले की समस्या से ग्रसित हैं। यह बच्चे सुन तो लेते हैं, लेकिन बोलने में असमर्थ रहते हैं। इसके साथ ही 12 बच्चे भावनात्मक व्यवहार संबंधी विकार से ग्रसित हैं। यह बच्चे अपने आप में खो जाते हैं। आसपास क्या हो रहा है, इससे इन बच्चों को कोई मतलब नहीं रहता।
मंदबुद्धि और मानसिक दिव्यांग बच्चों की राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत काउंसलिंग की जाती है। थैरेपी के माध्यम से चिकित्सा की जाती है।
-डॉ. हरेंद्र मलिक, एसीएमओ/प्रभारी एनएचएम ऊधमसिंह नगर
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