टाटा के निधन से देश में शोक की लहर,राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार

रतन टाटा के निधन पर देशभर में शोक की लहर है। उन्होंने 86 साल की आयु में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। टाटा के निधन पर टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने समूह की तरफ से संदेश जारी किया। चंद्रशेखरन ने पद्मविभूषण रतन टाटा योगदान को अतुल्य बताया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा है कि टाटा का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।

टाटा के निधन पर अमेरिका में रहने वाले चर्चित लोगों ने उन्हें एक ऐसे व्यक्ति के रूप में याद किया, जिन्होंने भारत को अधिक समृद्धि और विकास की ओर अग्रसर किया। अमेरिका-भारत व्यापार परिषद (यूएसआईबीसी) के अध्यक्ष अतुल केशप ने कहा, कुछ लोग गलती से व्यापार को तुच्छ समझते हैं, लेकिन रतन टाटा ने वैश्विक स्तर पर अपनी कंपनियों और भारत को अधिक समृद्धि और विकास की ओर अग्रसर किया। उन्होंने न केवल अपने सहयोगियों और व्यापारिक साझेदारों के लिए बल्कि व्यापक भलाई के लिए भी मानवता और करुणा के मूल्यों का समर्थन किया।

इंडियास्पोरा के संस्थापक एमआर रंगास्वामी ने कहा, इंडियास्पोरा समुदाय अत्यंत दुख के साथ रतन टाटा के निधन पर शोक व्यक्त करता है। उन्होंने टाटा को दूरदर्शी नेता, दयालु परोपकारी और भारत की सबसे सम्मानित व्यावसायिक हस्तियों में एक बताया।

दुनिया के सबसे प्रभावशाली उद्योगपतियों में से एक रतन टाटा कभी भी अरबपतियों की टाइम, फोर्ब्स, हुरुन जैसी किसी चर्चित सूची में शामिल नहीं रहे। यह इस बात की मिसाल है कि छह महाद्वीपों के 100 से अधिक देशों में काम करने वाली कंपनी के मुखिया होने के बावजूद टाटा सादगीपूर्ण जीवन जीना पसंद करते थे। शायद व्यक्तित्व के इसी पहलू के कारण कॉर्पोरेट दिग्गज रतन टाटा को ‘धर्मनिरपेक्ष जीवित संत’ माना गया। उनकी शालीनता और ईमानदारी के किस्से भी खूब सुर्खियों में रहे हैं। 1991 में अपने चाचा जेआरडी टाटा से टाटा समूह के अध्यक्ष का पदभार संभालने वाले रतन ने आधी सदी से भी अधिक समय तक यह पद संभाला।