कलर पेपर में प्रिंटिंग मशीन से छापे गए चेकों से किया करोड़ों का खेल

सरकारी खाते से करोड़ों रुपये निकालने के खेल का तानाबाना बेहद शातिराना तरीके से बुना गया था। अपराधियों ने कलर प्रिटिंग मशीन से हूबहू नकली चेक छापा था। अभियुक्तों ने योजनाबद्ध तरीके से चेकों को अलग-अलग तारीख में बैंक में लगाया था। पूरा खेल मिलीभगत से चल रहा था कि कैशियर और मैनजर ने करोड़ों रुपये के चेकों को एमआईसीआर चेकर मशीन और यूवी मशीन से जांचने की जहमत तक नहीं की। यही नहीं, खाताधारक के पास जाने वाली अलर्ट मैसेज सिस्टम को भी ब्लाॅक कर दिया था।

दरअसल, जिन चेकों के माध्यम से करोड़ों रुपयों का फर्जीवाड़ा कर अधिकारियों को सांसत में डाल दिया गया था, वे चेक ही पूरी तरह से जाली थे। यही नहीं इन लोगों को असली चेकों के नंबर पता कर नकली चेकों में अंकित कर दिया था।

एसएसपी मंजूनाथ टीसी ने बताया कि जब खाते से करोड़ों रुपयों के निकलने के बारे में पूछताछ की गई तो वे सही जवाब नहीं दे पाए थे। जिन नंबरों के चेकों को भुनाया गया था, इन नंबर के असली चेक एसएलओ दफ्तर में रही चेक बुक में सुरक्षित थे। कार्यालय के डाक रजिस्टर में चेकों की कोई एंट्री नहीं थी, लेकिन चेक जांच की गई तो पता चला कि वे कलर पेपर पर प्रिंटिंग कर तैयार किए गए थे

चेकों के साथ लगाए गए कवरिंग लेटर भी पूरी तरह से फर्जी थे।